How to find peace of mind and happiness...?
where i can find peace..??
Peace is not anywhere it is in our soul
भगवान कही नहीं होते ??? हमारे दिल मे ही होते है..!!! जिस भी रूप मे पूजो वो अपने भक्तों को सही रास्ता दिखाते ही है.....! भगवान कभी गलत रास्ता नहीं दिखाते वर्ना वो भगवान की उपाधि ही प्राप्त न करते और न हम उन्हें दिलमे बसाते..! वो तो हम मे से ही कुछ स्वार्थी लोग होते है, जो भगवान् के नाम पर मासुमोंको उल्जाते है...! ऐसे पाखंडियों से दूर रहे और अपने अन्दर के भगवान को पहचाने...! meenajain.com मे 5 Tips for inner peace की माध्यम से हम आपको आपके अन्दर के भगवान से मिलवाने की कोशिश करेंगे, ताकि आप Peace of life को समज सके ! Because Peace is not anywhere it is in our soul
How to find peace of mind and happiness...?
where i can find peace..??
Peace is not anywhere it is in our soul
....धन्यवाद दोस्तों
Tips for inner peace in hindi
(1) हंमेशा अच्छी संगत मे ही रहे....!!"
तेरी रोशनी के ईलेक्ट्रोन में, मै छिप जाऊँ प्रभु...!
ईन फूलों की खूशबु में, मै बस जाऊँ प्रभु...!
तुजकरूणा का एक अणू भी, गर मुझमें समा जाए....!
तुज समीप पलभर रहेनेसे भी, जन्म सार्थक हो जाए..!
कहते है की, अच्छी संगत का अच्छा असर होता है और बूरी संगत का बूरा असर होता है , ईसिलिए हमे बचपन से ही हमारे परीवार वाले हमे अच्छी संगत मे रहने की सलाह देते है। शायद आपको भी आपके परिवारसे किसी बडे, बुजुर्गने आपको यह सलाह दी होगी की वो जिसकी संगत तूम कर रहे हो या जो तूम्हे कंपनी दे रहे है, वह अच्छा होना चाहिए वर्ना life मे अच्छा नही होगा, एसी सलाह को बच्चे अकसर नजरअंदाज कर देते है पर ईन बातों मे गहरी सच्चाई छिपी होती है, वो यही की बूरी संगत का असर बूरा और अच्छी संगत का असर अच्छा, पोझिटीव होता है ! जिसभी भगवान को हम मानते हो जिसभी देवी - देवता को हम पूजते हो हमे उनकी संगतसे, उनकी आराधना, पूजा करने से उनकी तरह पोझिटीवीटी, आत्मिकशांति, परमार्थिकज्ञान, अध्यात्म, ईत्यादी उत्तम गुणोंकी अनुभूति, एहसास होता है। जो मन और मस्तिष्क मे शांति दिलाने मे सहायता करता है। जीवनमे सफलता और खुशी happy दिलाने मे सहायक होता है ..!!
(2) "भगवान को अपने soul (आत्मा) मे बसाओ...!"
दिल में ऊतरके देख लेना एक बार अपने ही..,
फिर कही और देखने की जरूरत ना होगी...!
बस जाएँगे प्रभुजी जो एक बार आपके दिलमे...,
ऊस दिल मे फिर किसी के बसने की गुंजाइश ना होगी...!
जन्म-मृत्यु, राग-द्वेष, मोह-माय, लोभ-मत्सर ईत्यादी कामनाएं तो कई जन्मो तक चलती ही रहती है। कई युग आएंगे और बदलते जाएंगे, पर जो व्यक्ति, त्याग, दान, करूणा, सेवा, ईन्सानीयत से अपने व्यक्तित्वको ऊंचा बना सकता है; वह स्वयं भी राम-रहीम,महावीर,बुद्ध जैसे बन सकता है। ईसिलिए कहते है की एकबार अपने मनके अंदर झांक के देखना चाहिए की, मै कौन हू...? कितना अच्छा या बूरा हू..? क्यों हूँ....? मेरे व्यवहार मे परिवर्तन हो सकता है....? लाभ होगा ..? पता नही ...? कैसे पता करू....?ईन्ही मानसशास्त्रीय सवालों के (psychological questions)साथ जब हम अपने आपको टटोलेंगे तब दोस्तों कई सवालों के जवाब हमे मिल जाएंगे और न मिले तो हमारे कई ग्रंथ, साहित्य,किताबें हमे मदद कर सकती है।
हर दर्शन, साहित्य हमे जीवन जीने की कला ही सीखाते है। जीवन के ईर्द गिर्द ही घूमते है , जो हमारे पूर्वजों ने बडी मेहनत से अपनी संतानों के लिए लिखे है। मित्रों मेरे कहने का तात्पर्य यह है की, हमें आज की ईस mobile and technology life मे भी हमे अपने-अपने धार्मिक, तात्विक, साहित्यिक ग्रंथ और किताबों को अवश्य पढना और समझना चाहिए, जो हमे जीवन जीने के लिए सही प्रेरणा..., मार्ग दिखाते है....., जैसे भगवदगीता ......!
ईसी ज्ञान को पाकर हमे अपने आत्मिक सुख को खोजना चाहिए। और ये करते करते अगर एकबार भगवान जी का निवास हमारे ह्रदय मे हो गया तो फिर मरते दम तक इसी ज्ञान से हमे मार्गदर्शन मिलता रहेगा, कही और भटकने की जरुरत नहीं रहेगी......!
-Thank You Friends
(3) अपने अंदर के हुनर को पहचाने....!
राहों मे मेरे तू लाख बीछा दे अँगारे...,
पर मत भूल ए, मेरे मालिक ......!
फूल बिखेरने की तरकीब भी तो...,
तूमने ही बक्षी है प्रभु.....!!!!
लोग जब परेशान होते है मुसीबतों मे घिरे होते है तब विलाप करते होते है की, भगवान ने मुझे ही ऐसी मुसीबत मे क्यों डाला ? तब मैं कहना चाहती हु की, उसी भगवान ने हमें उस मुसीबत से बहार आनेका हुनर भी दिया होता है बस हमें अपने अंदर के हुनर को पहचाननेकी जरुरत होती है, हर किसीके पास कोइ न कोई skill होता ही है, बस उसे positive way मे use करना चाहिए !
(4) "भगवानजी का नाम जपने के साथ-
परिश्रम भी करना चाहिए…!"
मेरे सारे काम हो जाते है...!!!
ईसका मतलब ये नही की....,
मै सिर्फ माला जपू और...,
तूझे काम पर लगा दूँ.....!!!!
अपितु, तेरे शक्सियत मे...,
वो ताकाद थी भगवान की...,
ऊसे याद कर मूझ मे भी...,
वही शक्ति दौड़ने लगती है और..,
मेरा परीश्रम मूझे सफलता तक पहोंचा देता है ...!!
ऐसा कहते है की, भगवान का नाम मात्र लेने से भी सारी सफलताए मिल जाती है, पर इसका मतलब ये नहीं होता.की हम निष्क्रिय रहे.!! हमें हमारे प्रयासों को चालू रखना ही होता है..! जब कभी हम लड़खड़ाए, पराजय का डर सताए, असफलता के बादल छा जाये तब हम भगवानको याद कर लेते है, oh God..... तब उनके द्वारा बताये रास्ते ही हमें सहायता (Guid) करते है! महापुरुषोंके आदर्श हमें हर कठोर परिस्थिति मे भी संतुलन बनाये रखने मे सहायता करते है इसलिए हमें हमारे महापुरुष, दिव्य व्यक्तिमत्व और हमारे देवी -देवताओ ने बताये हुए मार्ग पर स्थल-काल-परिस्थिति और विवेक के साथ चलना चाहिए!
(5) "Positivity को अपनाने की और फ़ैलाने की कोशिश करे ..!"
बिखेर देना खुशियाँ तू सभी के जीवन मे..,
मै तो हू हर वक्त ऊसी फिराक मे..,
तू भी तो थोड़ी फूर्सत निकाल ले....!
इन शायरी की पंक्तियों द्वारा हम यही कहना चाहते है की , हमें हमेशा सभी के अच्छे की ही कामना करनी चाहिए, क्योंकि ये अक्सर देखा गया है की जब हम दूसरोंकी खुशीओं के लिए दुआ करते है तो वह जल्द ही कबुल हो जाती है और हमारी परेशानियां भी अपने आप दूर हो जाती है ! इसके पीछे positivity वजह हो सकती है ! ठीक उसी तरह negativity (नकारात्मक्ता) फ़ैलाने से negativity (नकारात्मकता) फैलती है ! क्योंकि positivity (सकारात्मक्ता) फ़ैलाने से positivity ही मिलती है!
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